Rahul मई 17, 2023 0
जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycle In Hindi) पर्यावरण व पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण विषय है। इस लेख में Biogeochemical Cycle In Hindi को विस्तार से समझाया गया हैं।
Biogeochemical Cycle In Hindi |
वह चक्र जिसमें किसी पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक तत्वों का जैविक प्रावस्था में परिवर्तन होता है तथा पुनः जैविक तत्व अजैविक तत्वों के रूप में वापस आ जाते हैं, तत्वों के इस पुनरागमन के प्रारूप को ही जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycle) कहा जाता है।
यदपि कुछ विद्वान इसे भू-जैव रासायनिक चक्र भी कहते है, उनके अनुसार पौधे भूमि से ही आवश्यक खनिज और जल जड़ों द्वारा 'परासरण की क्रिया' में प्राप्त करते हैं अतः भूमि की अधिक महत्ता होती है और इसे भू-जैव रासायनिक चक्र कहा जाना चाहिए।
पारितंत्र में पोषक तत्व कभी समाप्त नहीं होते, बल्कि ये बार-बार पुनःचक्रित होते हैं एवं अनंत काल तक चलते रहते हैं। एक पारितंत्र के विभिन्न घटकों के माध्यम से पोषक तत्वों की गतिशीलता को ही पोषण चक्र कहा जाता हैं। पोषण चक्र को जैव भू-रसायन चक्र भी कहा जाता है।
गैसीय चक्र | अवसादी चक्र |
---|---|
नाइट्रोजन चक्र | सल्फर चक्र |
ऑक्सीजन चक्र | फास्फोरस चक्र |
कार्बन डाईऑक्साइड चक्र (कार्बन चक्र) | |
जल चक्र |
यद्यपि सल्फर चक्र अवसादी चक्र के अंतर्गत रखा गया है किंतु इसकी एक अवस्था गैसीय भी होती है अतः यह अवसादी-गैसीय चक्र का उदाहरण है किंतु अधिकांश भाग अवसादी रूप में होने के कारण इसे अवसादी चक्र में ही रखते है। इसी प्रकार फास्फोरस में भी गैसीय प्रावस्था अत्यंत कम समय के लिए होती है।
पृथ्वी के वायुमंडल में नाइट्रोजन सर्वाधिक मात्रा (78%) में पाई जाती है। किंतु यह सामान्य अवस्था में अक्रिय गैस की तरह व्यवहार करती है तथा पौधे इसे सीधे गैसीय रूप में गृह नहीं कर सकते, पौधे इसे यौगिकों के रूप में ग्रहण करते हैं।
नाइट्रोजन अमीनो अम्ल का प्रमुख घटक है जो प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक है अतः नाइट्रोजन पारिस्थितिक तंत्र के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए अति अनिवार्य होती है। प्रकृति में नाइट्रोजन का संतुलन जिस चक्र के अधीन होता है उसे 'नाइट्रोजन चक्र' कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो ''वायुमंडलीय नाइट्रोजन का पौधों द्वारा ग्रहण किए जाने योग्य यौगिकों में परिवर्तन तथा जीवधारियों में उपस्थित इन यौगिकों के विघटन द्वारा वायुमंडल में पुनः नाइट्रोजन के पहुंचने की संपूर्ण प्रक्रिया, 'नाइट्रोजन चक्र' (Nitrogen Cycle In Hindi) कहलाती है''।
नाइट्रोजन चक्र के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख चरण शामिल होते हैं -
Nitrogen Cycle In Hindi |
वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन गैस वायुमंडलीय जैविकीय और औद्योगिक प्रक्रमों द्वारा नाइट्राइट और नाइट्रेट आदि में परिवर्तित कर मृदा में पहुंचाई जाती है, तब यह क्रिया 'नाइट्रोजन स्थिरीकरण' (Nitrogen Fixation) कहलाती है।
वास्तव में इसी क्रिया द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन मृदा में संग्रहित होती है। वर्षा जल आदि द्वारा मृदा में संचित नाइट्रोजन का एक भाग महासागरों में भी पहुंच जाता है।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण निम्नलिखित 3 क्रियाओं द्वारा हो सकता है -
इसके अंतर्गत अमोनियम आयन को नाइट्रेट में परिवर्तित किया जाता है। प्रारंभ में नाइट्रोसोमोनास जीवाणु द्वारा अमोनिया का नाइट्राइट में परिवर्तन होता है। इसके बाद नाइट्रोबैक्टर द्वारा नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल दिया जाता है।
अमोनियम आयन → नाइट्राइट नाइट्राइट → नाइट्रेटइसके अंतर्गत हरे पौधे नाइट्रोजन को यौगिकों के रूप में अपनी जड़ों से ग्रहण करते हैं तथा इसके द्वारा अमीनो अम्ल आदि का निर्माण होता है जो प्रोटीन का महत्वपूर्ण घटक है।
जब किसी जीव की मृत्यु होती है अथवा विभिन्न वर्ज्य पदार्थों (मल, मूत्र आदि) का उत्सर्जन करता है तब कई जीवाणु व कवक इन पदार्थों को अमोनिया या अमोनियम आयनों में परिवर्तित कर देते हैं, इसे अमोनीकरण/खनिजीकरण कहा जाता है। इन अमोनियम आयनों को मृदा में उपस्थित नाइट्रीकारी जीवाणु नाइट्रेट में बदल देते हैं और मृदा में नाइट्रेट का संग्रहण होता रहता है।
विनाइट्रीकरण प्रक्रिया में स्यूडोमोनास जैसे जीवाणु मृत जीवों में पाए जाने वाले नाइट्रेट को पुनः नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर देते है जो वायुमंडल में पहुंचकर नाइट्रोजन चक्र पूरा करती है।
ऑक्सीजन पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए अनिवार्य होती है, अतः इसी प्राण वायु की संज्ञा दी जाती है। ऑक्सीजन वायुमंडल में मुख्यतः प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पहुंचती है। अत्यंत अल्प मात्रा में ज्वालामुखी क्रिया में भी कार्बन डाइऑक्साइड और जल के रूप में कुछ ऑक्सीजन वायुमंडल में पहुँचती है। खनिज ऑक्साइड के अपचयन से भी वायुमंडल में ऑक्सीजन का प्रवेश होता है।
Oxygen Cycle In Hindi |
वायुमंडल में ऑक्सीजन का उपभोग जीवधारियों द्वारा श्वसन, खनिजों की ऑक्सीकरण तथा जैवभार के जलने और जीवाश्मीय ईंधन के दहन द्वारा होता है। इस प्रकार ऑक्सीजन का पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न घटकों में आवागमन होता रहता है तथा इस चक्र के अधीन वायुमंडल में ऑक्सीजन संतुलित रहती है किंतु मानव के अनियोजित विकास, बढ़ती औद्योगीकरण आदि के कारण वायुमंडल में ऑक्सीजन का संतुलन भंग हो रहा है, जिससे भविष्य में कई चुनौतियां खड़ी हो सकती है।
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Carbon Cycle In Hindi |
जीवों के शुष्क भार का लगभग 49% भाग कार्बन से बना होता होता है। पृथ्वी पर कार्बन चक्र वायुमंडल, सागर तथा जीवित एवं मृतजीवों द्वारा संपन्न होता है। भूमि एवं सागरों की कचरा सामग्री एवं मृत कार्बनिक सामग्री के अपघटन, जीवाश्म ईंधन के जलने तथा ज्वालामुखी क्रियाओं आदि स्रोतों द्वारा वायुमंडल में कार्बन सामग्री व कार्बन डाईऑक्साइड मुक्त होती है।
पृथ्वी पर जल गैस, ठोस या तरल रूप में पाया जाता है। जल के रूप में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन सम्मिलित रूप से समस्त जीवों के सकल भार के लगभग 80.5% भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं। जीवमंडल में हाइड्रोजन का निवेश जल के रूप में होता है, अतः इस तत्व के चक्र को 'जल चक्र' कहते है।
Water Cycle In Hindi |
नदी, झीलों, समुद्र आदि से जल वाष्पीकरण की क्रिया द्वारा वातावरण में वाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसके अलावा पेड़-पौधों और आर्द्रभूमियों से भी जल वाष्प बनकर वायुमंडल में पहुँचता है। यह जलवाष्प संघनन की क्रिया में बादलों में परिवर्तित हो जाता है और तापमान की कमी के कारण ये द्रवित होकर वर्षा के रूप में पृथ्वी पर आ जाता है। आगे फिर यही जल जलाशयों से पुनः वाष्पीकृत होकर वायुमंडल में पहुँचता है और यह चक्र बार-बार दोहराया जाता है।
जीवों के अस्तित्व और विकास के लिए सल्फर एक महत्वपूर्ण तत्व है। सल्फर की प्राप्ति हमें मृदा तथा अवसादी भंडारों से विशेष रूप में होती है। कोयला, खनिज तेल आदि में भी सल्फर उपस्थित रहता है। चट्टानों के टूटने-फूटने से सल्फर मृदा में पहुंचता है तथा पौधे इसे सल्फेट के रूप में ग्रहण करते हैं जो अमीनो अम्ल में रूपांतरित होकर खाद्य श्रंखला में आगे बढ़ता है।
Sulphur Cycle In Hindi |
जल के प्रवाह द्वारा स्थलीय भाग से महासागरीय भाग में सल्फर का स्थानांतरण होता है। ज्वालामुखी उद्गार में यह सल्फर डाइऑक्साइड के रूप में वायुमंडल में पहुँचता है। इसी प्रकार इसके अलावा मानव जनित औद्योगिक क्रियाओं में भी सल्फर गैसीय रूप में वायुमंडल में पहुंचता है।
पवनों और अम्ल वर्षा के रूप में सल्फर स्थलीय और जलीय भागों में पहुंचता रहता है जिसे जीव ग्रहण करते है। जीवों की मृत्यु के बाद विभिन्न कवकों जैसे एस्परजिलस एवं न्यूरोस्पोरा तथा जीवाणुओं जैसे एस्कारियासिस और प्रोटियस द्वारा मृत जीवों के अपघटन से सल्फर पुनः अपने स्रोत क्षेत्रों को प्राप्त हो जाता है।
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नाइट्रोजन की तरह फास्फोरस भी प्रोटीन संश्लेषण हेतु आवश्यक होती है। यह पौधों को मृदा द्वारा प्राप्त होती है तथा उत्पादक तथा उपभोक्ता तक खाद्य श्रृंखला द्वारा पहुंचती है। मृत्यु जीवों के वितरण के उपरांत यह पुनः विमुक्त होकर मृदा में पहुंच जाती है।
Phosphorus Cycle In Hindi |
प्राणियों की अस्थियों और दांतों में इसकी उपस्थिति होती है। यह जल के प्रवाह द्वारा महासागरों में पहुँचती है जहां महासागरीय जीव इसे प्राप्त करते हैं। जब महासागरीय जीवों को स्थलीय जीव भोजन के रूप में ग्रहण करते है तब भी फास्फोरस का स्थानांतरण होता है। समुद्री भाग में लवणों के टूटने से भी फास्फोरस मुक्त होता है। अन्य चक्रों की अपेक्षा यह चक्र अत्यंत मंद गति से कार्य करता है।
पोषक तत्वों तथा महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ तत्वों के जैविक से अजैविक या अजैविक से जैविक घटकों में गति के फलस्वरूप ही पारिस्थितिकी तंत्र में पोषक तत्वों का प्रवाह निर्धारित होता है, इसे ही जैव रासायनिक चक्र कहते है।
जीवाणुओं द्वारा मृत जीवों में पाए जाने वाले नाइट्रेट को पुनः नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित करने की प्रक्रिया 'विनाइट्रीकरण' कहलाती है।
अमोनियम आयन को नाइट्रेट में परिवर्तित करने की प्रक्रिया 'नाइट्रीकरण' कहलाती है।